आज हम जा रहे है अपने नन्हे मुन्हे के लिए कुछ ऊनी कपडे खरीदने... परेड बाजार से अच्छी और जगह क्या हो सकती है.. हमारे जैसे मध्यमवर्ग के व्यक्ति के लिए..जो माल केवल घूमने जाते है शौपिंग करने नहीं... हम का मतलब मैं मेरी पत्नी और हमारे घर कि पहली बाइक.. हमारी प्यारी बाइक...
लो बातें करते करते आ ही गया हमेशा कि तरह भीड़ भाड़ युक्त प्यारा परेड मार्किट.. पर गाड़ी कहा खड़ी करनी है... वह जहा से लौटते वक़्त याद रहे... हां ये सही रहेगा ... कटरीना कैफ कि होर्डिंग के नीचे.. मैं कितना बुद्धिमान हु
छोटे छोटे मोज़े छोटे छोटे स्वेटर... कितने सुन्दर लग रहे है... क्या ये पहले भी होते थे.. या शायद हमने अब गौर करना शुरू किया है.. अपने मुन्ने के आने के बाद.. पत्नी ने बोला अरे ये स्वेटर कितने प्यारे है .. खरीदते है... मैंने कहा नहीं नहीं स्वेटर बहुत सारे है उसके पास कुछ और लेते है... हां वो दस्ताने कितने प्यारे है.... अब मेरी पर्स हलकी होती जा रही थी और हाथ थैले से भरते जा रहे थे...
काफी शॉपिंग और पूछ ताछ के बाद हमें अहसास हुआ कि अब बहुत देर हो गयी...चलो वापस चलते है ... चलो बाइक ढूढते है... मतलब हमेशा कि तरह ढूँढनी नहीं पड़ेगी क्योकि आज मुझे पता है कि बाइक कहा है....
ये रही कटरीना कैफ ... और ये रही ..... अरे ये क्या .. बाइक तो यहाँ नहीं है... शायद किसी ने इधर उधर कर दी होगी..
५० मीटर के दायरे में घूमने के बाद.. भी नहीं मिली... ये क्या हुआ ... आज का दिन चोर का था क्या.. अरे नहीं ऐसा नहीं हो सकता... नहीं हो गयी चोरी.. एक एक गाडी का नंबर चेक कर रहे थे हम क्या करे ? मेरी नजर पत्नी कि आँखों में पड़े आंशुओ पे गए. वो बहुत भावुक है.. उस बाइक के साथ हमारी बहुत यादें जुड़ी है... मेरा भाई भी बहुत भावुक है... असल में ये मुख्यतया उसी कि है फिर हम सबकी.... पर बाइक कही नहीं है और यही सच्चाई है.. चोर महाशय सफल हो गए... और मैं रोड पे देख रहा हु कि कोई चोर मेरी बाइक ले के जा रहा होगा और मैं उसे पकड़ लूंगा... पर क्या चोर इतना बेवकूफ होगा... नहीं पर जब कुछ समझ में नहीं आता तो... हम कुछ भी करने लग जाते है... मैंने मुड़ के कैटरीना कैफ को देखा... बेचारी लाचार दिख रही है और शायद कुछ दुखी भी है
चलो कोई बात नहीं... अब उस बाइक कि कीमत २०-३० हजार ही होगी ... पैसे कि हानि कोई हानि नहीं होती, शारीरिक हानि नहीं होनी चाहिए ... मैं ये पत्नी को समझा रहा हु और शायद खुद को भी...
और हां आज तो शनिवार है... शनिवार को लोहा जाना अच्छा होता है... क्या अचानक से मैं ये कैसे बातें कर रहा हु....
नुक्सान तो हो चूका है... अब और नुक्सान न हो... चोर कोई इलीगल काम ना करे और एविडेंस के तौर पे बाइक छोड़ दे.. मतलब बाइक गयी तो गई... पुलिस रिपोर्ट करना जरूरी है...चलो पुलिस स्टेशन चलते है मगर पत्नी साथ में है ... इसे नहीं ले जाऊँगा.. चलो पापा को फोने करता हु... पर पापा पूछेंगे आस पास किसी से पूछा...? क्या जवाब दूंगा... कोई फायदा नहीं है.. लेकिन.. "अरे भाई यहाँ एक बाइक खड़ी थी ?" मैंने पूछा जैसे कि दूकान वाला बोलेगा हां सर जी ये रही मैंने जेब में रख ली थी ये लो अपनी बाइक... बड़े लोग भी ना कैसे सोचते है ... मैं सोच ही रहा था तभी सामने से आवाज आई "साहब एक बाइक ट्राफिक पुलिस वाले ली गए है... यातायात पोलिस के पास जा के देख लो"
१ मिनट के अंदर हम रिक्शा पर सवार थे... शायद हमारी बाइक मिल जायेगी...
लो आ गया यातायात पुलिस थाना... जब तक मैं रिक्शा वाले को पैसे दूं.... मेरी पत्नी ने अपनी गाडी ढूंढ ली... या देख ली या मेरी बाइक ने हमें देख लिया .... पास ही 2 पोलिस वाले अलाव जला के बैठे है... उन्होंने बोला तुम तो पढ़े लिखे लगते हो .. फिर नो पार्किंग में गाडी क्यों खड़ी करते हो...
सच कह रहा हु... पहली बार पोलिस वाले इतने क्यूट लग रहे थे... मैंने चालान भरा...(ख़ुशी ख़ुशी)... हम तीनो बहुत खुश थे... मैं मेरी पत्नी और वो (हमारी प्यारी बाइक)....
हम वापस घर जा रहे है .... आते समय से कही ज्यादा खुश....